#हाथरसगैंगरेप: 92 पूर्व IAS-IPS अफसरों ने योगी को लिखा खत, कहा-क़ानून के शासन का हो रहा है खुला उल्लंघन

फोटो: सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश में हाथरस में जो घटना सामने आई और उसके बाद पुलिस और प्रशासन का जो अमानवीय चेहरा देखने को मिला उसकी पूरे देश में कड़ी निंदा हो रही है। हर कोई यह सवाल पूछ रहा है कि कानून और शासन के राज में हाथरस में ऐसी घटना हुई कैसे। अब इस मुद्दे पर देश के 92 रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने हाथरस की घटना को लेकर पुलिस-प्रशासन और सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

सीएम योगी को लिखे पत्र में प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए 92 रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने लिखा, “हमने यह मान लिया था कि हमारे विवेक और जमीर को अब कुछ भी झकझोर नहीं पाएगा, तभी आपके प्रशासन ने हाथरस की घटना में जो कार्वाही की वह सामने आई। पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद यह पता चलता है कि हमारे देश का प्रशासन किस हद तक दरिंदगी और अमानुषिकता के दलदल में गिर चुका है।”

पत्र में पुलिस-प्रशासन के रवयै पर सवाल खड़े किए गए हैं। पत्र में आगे लिखा गया है, “एक दलित युवती का बर्बर तरीके से शारीरिक उत्पीड़न किया गया, लेकिन घटना के तीन हफ्ते बीत जाने के बाद भी पुलिस दुष्कर्म के अपराध की पुष्टि नहीं कर पा रही है और उसके आस-पास कहानियां बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि उस युवती के बयान का वीडियो रेप की पुष्टि करता है। यह बयान एक तरह से उसका डाइंग डिक्लेरेशन है।”

पत्र में पीड़िता की मौत से पहले उसकी हालत उसके चोट के बारे में जिक्र किया गया है। सीएम को लिखे अपने पत्र में रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस अधिकारियों ने आगे लिखा, “युवती के गले पर गहरे घाव थे, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी और जीभ भी काटी गई थी। ट्रॉमा से निपटने के लिए उन्नत सुविधाओं वाले दिल्ली के किसी अस्पताल में पीड़िता को भेजने के बजाए उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में छोड़ दिया गया, जहां पीड़िता के इलाज के समुचित संसाधन ही नहीं थे। घटना के दो हफ्ते के बाद उसे दिल्ली ले जाया गया, वह भी तब जब उसके परिवार ने इस संबंध में अपील की।”

पीड़िता के शव को रात में जलाने को लेकर पत्र में गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। पत्र में आगे लिखा गया है, “पीड़िता की मौत के बाद जो हुआ उसमें न्याय और बुनियादी मानवीय मूल्यों का और भी मजाक उड़ाया गया। पीड़िता के पार्थिव शरीर को जल्दबाजी में उसके गांव भेजकर पुलिस कर्मियों द्वारा रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। हिंदू धर्मानुयायी होने के नाते आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक, शव का अग्निदाह निकटतम परिजनों द्वारा ही किया जाता है। इस पवित्र परंपरा और परिवारजनों की दलीलें कि वे शव को घर ले जाकर सुबह दाह संस्कार करेंगे, दोनों ही बातों का ख्याल नहीं रखा गया। शोक संतप्त परिवार के जख्म पर नमक छिड़कते हुए एक पुलिस कर्मी ने उन्हें भी इस हादसे का दोषी ठहरा दिया, और डीएम वीडियो में उस परिवार को धमकी देते दिखे कि वह मीडिया वालों से बात करने में सावधानी बरतें, क्योंकि मीडिया तो कुछ समय बाद चली जाएगी, लेकिन अधिकारीगण तो आस पास ही रहेंगे।”

रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस अधिकारियों ने पत्र में आगे लिखा, “हाथरस जिला प्रशासन को लगता है कि वे मानव शरीर के खिलाफ अपराधों से संबंधित सबूतों को जल्दी से हटा सकते हैं, और मानवीय संवेदना को भी नजरंदाज कर सकते हैं। कानून और परंपरा के इन उल्लंघनों में शामिल सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।”

पत्र में सिर्फ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने और डीएम पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। पत्र में आगे लिखा गया है, “आपने एसपी को तो निलंबित कर दिया है, जिला मजिस्ट्रेट के तुरंत निलंबन के लिए भी पर्याप्त आधार हैं। आप से अपील है कि सभी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही जितना ज्लदी हो शुरू की जाए। जिला पुलिस और कार्यकारी मजिस्ट्रेसी के उन सभी अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 4 के तहत कार्यवाही होनी चाहिए, जिन्होंने उक्त अधिनियम में उल्लिखित अपने कर्तव्यों का पालन करने में अकर्मण्यता दिखाई है।”

पत्र में आगे कहा, “इस बात का हमें दुख है कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक एक पतनोन्मुख प्रशासन तंत्र को नेतृत्व देने में और उस पर उचित काबू पाने में अपने को अक्षम पा रहे हैं। हम उनसे भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा की गौरवशाली परंपराओं को जीवित रखने की अपेक्षा करते हैं, क्योंकि इस देश के लोगों को इन सेवाओं पर अभी भी विश्वास है। हम लोगों को अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं का सदस्य रहने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है, लेकिन जिस तरह से यूपी की पुलिस और नौकरशाही ने विशेष रूप से अखिल भारतीय सेवाओं ने, राजनैतिक दबाव के सामने पूर्ण समर्पण सा कर दिया है, उससे हम सभी लज्जान्वित हैं।”

पत्र में सीएम योगी को उनकी जिम्मेदारियों के बारे एहसास कराया गया है। पत्र में लिखा गया है, “प्रदेश के मुख्य कार्यकारी के रूप में जिम्मेदारी आखिरकार आप की ही है। पिछले साढ़े तीन सालों के आपके कार्यकाल से ऐसा नहीं लगता कि आपको देश के विधि-नियम और विधि-संगत प्रक्रिया पर बहुत विश्वास है। फिर भी हमारी आपसे अपील है कि भारत के जिस संविधान के प्रति आदर और निष्ठा की शपथ आपने पद ग्रहण करते समय ली थी उसकी के अनुरूप काम करें”


 

(हाथरस गैंगरेप मामले में यूपी सरकार के आपराधिक रवैये के खिलाफ सिविल सेवा के अफसर भी खुलकर सामने आ गए हैं। ऐसे ही 92 रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अफसरों ने यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ को खुला खत लिखा है। जिसमें उन्होंने ब्योरेवार सूबे की सरकार द्वारा बरती गयी प्रशासनिक लापरवाहियों का जिक्र किया है। उन्होंने उन्हें तत्काल ठीक करने तथा इस मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। रिटायर्ड अफसरों ने अपने पत्र में प्रशासनिक महकमे के राजनैतिक तंत्र के सामने समर्पण को न केवल दुर्भाग्यपूर्ण बताया है बल्कि बेहद लज्जास्पद करार दिया है। आखिर में उन्होंने हाथरस की पीड़िता के लिए किसी भी कीमत पर न्याय सुनिश्चित करने की अपील की है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख लोगों में अशोक वाजपेयी, वजाहत हबीबुल्लाह, हर्ष मंदर, जूलियो रिबेरो, एनसी सक्सेना, शिवशंकर मेनन, मधु भादुड़ी, नजीब जंग, अमिताभ पांडे आदि शामिल है। पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक)

प्रिय मुख्य मंत्री जी,

हमने यह मान लिया था कि अब हमारे विवेक और ज़मीर को कुछ भी झकझोर नहीं पाएगा, तभी आपके प्रशासन द्वारा हाथरस की घटना में की गई कार्यवाही सामने आई। पूरे घटनाक्रम को देखने से पता लगता है कि हमारे देश का प्रशासन किस हद तक दरिंदगी और अमानुषिकता के दलदल में गिर चुका है ।

एक दलित लड़की का बर्बरता पूर्वक शारीरिक उत्पीड़न किया गया, लेकिन घटना के तीन सप्ताह बाद भी पुलिस बलात्कार के अपराध की पुष्टि नहीं कर पा रही है और उसके इर्द-गिर्द कहानियाँ बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि उस लड़की के बयान का वीडियो बलात्कार की पुष्टि करता है। यह बयान एक तरह से उसका डाइंग डिक्लेरेशन ही है ।

उसके गले पर गहरे घाव थे; उसकी  रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी, और जीभ भी काटी  गयी थी । ट्रॉमा से निपटने के लिए उन्नत सुविधाओं वाले दिल्ली के किसी अस्पताल  में उसको भेजने के बजाए उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पड़ा रहने दिया गया, जहां उसके उपचार के समुचित संसाधन ही नहीं थे। घटना के दो सप्ताह बाद ही उसे दिल्ली ले जाया गया, वह भी उसके परिवार के अनुरोध पर।

उसकी मृत्यु के बाद जो हुआ उसमें न्याय और बुनियादी मानवीय मूल्यों का और भी उपहास किया गया। उसके पार्थिव शरीर को बहुत जल्दबाज़ी में उसके गाँव भेज कर पुलिसकर्मियों द्वारा रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। हिंदू धर्मानुयायी होने के नाते आप अच्छी तरह से जानते होंगे कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शव का अग्निदाह निकटतम परिजनों द्वारा ही किया जाता है। इस पवित्र परंपरा और परिवारजनों की दलीलें कि वे शव को घर ले जाकर सुबह दाह संस्कार करेंगे, दोनों की परवाह नहीं की गई । शोक संतप्त परिवार के ज़ख्म पर नमक छिड़कते हुए एक पुलिसकर्मी ने उन्हें भी इस हादसे का दोषी ठहरा दिया, और जिला मजिस्ट्रेट वीडियो पर उस परिवार को धमकी सी देते दिखे कि वह मीडिया वालों से बात करने में सावधानी बरतें, क्योंकि मीडिया तो कुछ समय बाद चली जाएगी,  लेकिन अधिकारीगण तो आस पास ही रहेंगे।

मीडिया में यह प्रसारित किया गया है कि आरोपियों को शीघ्र सज़ा दिलवाने के लिए मामले को फ़ास्ट -ट्रैक करने की ताकीद प्रधानमंत्री ने आपको दी है। केंद्र और प्रदेश सरकारों में अपने अनुभव के आधार पर पूर्व सिविल सेवकों के हमारे समूह ने पहले भी उन्नाव बलात्कार व  बुलंदशहर पुलिस निरीक्षक की हत्या के मामलों में कायदे- कानून के बेशर्म उल्लंघन पर प्रकाश डाला था। यह भी विचारणीय है कि अपने साथी पुलिस अधिकारी की घिनौनी हत्या के दो साल बाद भी न तो आपकी पुलिस ने और न ही प्रशासन ने मामले को न्यायोचित अंजाम पर लाने में कोई तत्परता दिखाई है। इस पृष्ठभूमि में आप समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश की फ़ास्ट-ट्रैक प्रणाली पर हमें संशय होना स्वाभाविक ही है।

वस्तुतः हम उत्तर प्रदेश सरकार की ‘फास्ट ट्रैक न्याय’ की नायाब व्याख्या से भी चिंतित हैं। अभी हाल ही में हमने दो उदाहरण देखे हैं जिनमें पुलिस के संरक्षण में उत्तर प्रदेश ले जाते समय कथित अपराधियों को रास्ते में ही मार दिया गया। भले ही वह जघन्य अपराधों के अभियुक्त रहे हों, परंतु  भारत के संविधान और देश के कानून के अंतर्गत उन्हें एक विधिवत ट्रायल का हक़ प्राप्त था। उनको इस अधिकार से वंचित रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। आपके प्रशासन ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ अत्यधिक कठोर क़दम उठाए हैं, जिसमें निरोध और दंडात्मक जुर्माना शामिल हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में “आँख के बदले आँख” की विचारधारा की आप द्वारा वकालत से यह प्रतीत होता है कि आप जज और जल्लाद की भूमिकाओं को एक ही तंत्र/व्यक्ति में केंद्रित करने के पक्षधर हैं।

सत्यमेव जयते ।

भवदीय ,
(92 हस्ताक्षरी निम्नवत)

अनिता अग्निहोत्री IAS (सेवानिवृत्त), पूर्व सचिव, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, भारत सरकार

सलाहुद्दीन अहमद IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव, राजस्थान

शफ़ी अहमद IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत सरकार

एस.पी. एम्ब्रोज़ IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त सचिव, जहाज़रानी और परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार

आनंद अरनी आर & ए डब्लू  (सेवानिवृत्त) पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार

एन बाला बास्कर IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व प्रधान सलाहकार (वित्त), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार

वप्पला बालचंद्रन IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार

गोपालन बालगोपाल IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व विशेष सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार

चंद्रशेखर बालकृष्णन IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, कोयला, भारत सरकार

राणा बनर्जी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय (आर  & ए डब्लू ), भारत सरकार

शरद बेहार IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव,  मध्य प्रदेश

मधु भादुड़ी IFS (सेवानिवृत्त) पुर्तगाल में पूर्व राजदूत

मीरां सी बोरवांकर IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व पुलिस आयुक्त, पुणे, महाराष्ट्र

रवि बुधिराजा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, भारत सरकार

सुंदर बुर्रा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव,  महाराष्ट्र सरकार

आर चंद्रमोहन IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व प्रमुख सचिव, परिवहन और शहरी विकास,  एन.सी.टी. दिल्ली सरकार

राकेल चटर्जी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व विशेष मुख्य सचिव, कृषि,  आंध्र प्रदेश सरकार

कल्याणी चौधरी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार

ऐना दानी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार

विभा पुरी दास IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, जनजातीय मामलों का  मंत्रालय, भारत सरकार

पी आर दासगुप्ता IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार

नितिन देसाई IES (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

केशव देसिराजू IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार

एम जी देवसहायम IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, हरियाणा सरकार

सुशील दुबे IFS (सेवानिवृत्त) स्वीडन में पूर्व राजदूत

ए एस दुलत IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व ओएसडी (कश्मीर) , प्रधान मंत्री कार्यालय, भारत सरकार

के पी फ़ेबियन IFS (सेवानिवृत्त) इटली में पूर्व राजदूत

गौरीशंकर घोष IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मिशन निदेशक, राष्ट्रीय पेयजल मिशन, भारत सरकार

सुरेश के गोयल IFS (सेवानिवृत्त) पूर्व महानिदेशक, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारत सरकार

एस के गुहा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार

एच एस गुजराल IFoS (सेवानिवृत्त) पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक,  पंजाब सरकार

मीना गुप्ता IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार

रवि वीर गुप्ता IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक

वजाहत हबीबुल्लाह IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त

दीपा हरि IRS (Resigned)

सज्जाद हसन IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व आयुक्त (योजना), मणिपुर सरकार

कमल जसवाल IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार

नजीब जंग IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली

राहुल खुल्लर IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण

के जॉन कोशी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, पश्चिम बंगाल

अजय कुमार IFoS(सेवानिवृत्त) पूर्व निदेशक, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार

बृजेश कुमार IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार

आलोक बी लाल IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व महानिदेशक (अभियोजन), उत्तराखंड सरकार

सुबोध लाल IPoS (Resigned) पूर्व उपमहानिदेशक, संचार मंत्रालय, भारत सरकार

हर्ष मंदर IAS (सेवानिवृत्त) मध्य प्रदेश सरकार

अमिताभ माथुर IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व निदेशक, विमानन अनुसंधान केंद्र और पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार

अदिति मेहता IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार

शिवशंकर मेनन IFS (सेवानिवृत्त) पूर्व विदेश सचिव और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार

सोनालिनी मीरचंदानी IFS (Resigned)

सुनील मित्रा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

नूर मोहम्मद IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार

अविनाश मोहननय IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व पुलिस महानिदेशक, सिक्किम

जुगल महापात्र IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार

देब मुखर्जी IFS (सेवानिवृत्त) बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त और नेपाल में पूर्व राजदूत

शिव शंकर मुखर्जी IFS (सेवानिवृत्त) यूनाइटेड किंगडम में पूर्व उच्चायुक्त

प्रणब एस मुखोपाध्याय IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, भारत सरकार

पी जी जे नम्पूदिरी IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात

अमिताभ पांडे IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, अंतर-राज्य परिषद, भारत सरकार

मीरा पांडे IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त, पश्चिम बंगाल

निरंजन पंत IA&AS (सेवानिवृत्त) पूर्व उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, भारत सरकार

आलोक परती IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार

आर पूर्णलिंगम IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार

आर एम  प्रेमकुमार IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव, महाराष्ट्र

एन के रघुपति IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, कर्मचारी चयन आयोग, भारत सरकार

वी पी राजा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष,  महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग

सी बाबू राजीव IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, भारत सरकार

के सुजाता राव IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार

सतवंत रेड्डी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, भारत सरकार

विजय लता रेड्डी IFS (सेवानिवृत्त) पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार

जूलियो रिबेरो IPS (सेवानिवृत्त) राज्यपाल पंजाब के पूर्व सलाहकार और रोमानिया में पूर्व राजदूत

मानबेंद्र एन रॉय IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार

ए के सामंत IPS (सेवानिवृत्त) पूर्व पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस), पश्चिम बंगाल सरकार

दीपकसानन IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व प्रधान सलाहकार (एआर), मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश

जी शंकरन IC&CES (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सोना (नियंत्रण) अपीलीय न्यायाधिकरण

एस सत्यभामा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन, भारत सरकार

एन सी सक्सेना IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, योजना आयोग, भारत सरकार

अर्धेंदु सेन IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल

अभिजीत सेनगुप्ता IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार

आफ़ताब सेठ IFS (सेवानिवृत्त) जापान में पूर्व राजदूत

अशोक कुमार शर्मा IFoS (सेवानिवृत्त) पूर्व एमडी, राज्य वन विकास निगम, गुजरात सरकार

अशोक कुमार शर्मा IFS (सेवानिवृत्) फिनलैंड और एस्टोनिया में पूर्व राजदूत

नवरेखा शर्मा IFS (सेवानिवृत्त) इंडोनेशिया में पूर्व राजदूत

सुजाता सिंह IFS (सेवानिवृत्त) पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार

तिरलोचन सिंह IAS (सेवानिवृत्) पूर्व सचिव, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार

जवाहर सरकार IAS (सेवानिवृत्त)
पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और पूर्व सीईओ, प्रसार भारती

नरेंद्र सिसोदिया IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

थैंक्सी थेक्केरा IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक विकास, महाराष्ट्र सरकार

पी एस एस थॉमस IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व महासचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

गीता थूपल IRAS (सेवानिवृत्त) पूर्व महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता

हिंदल तैयबजी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव स्तर, जम्मू और कश्मीर सरकार

अशोक वाजपेयी IAS (सेवानिवृत्त) पूर्व अध्यक्ष, ललित कला अकादमी

रमणी वेंकटेशन IAS  (सेवानिवृत्त) पूर्व महानिदेशक, याशदा, महाराष्ट्र सरकार
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